Saturday, March 19, 2011

Harivanshrai Bacchan's poem हिम्मत करनेवालों की कभी हार नहीं होती




लेहेरों से डरकर नौका पार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।

डुबकियां सिंधू में गोताखोर लगाता है
जा जाकर खाली हाथ लौट आता है।
मिलते न सहज ही मोती पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
हिम्मत करनेवालों की हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो
क्या कमी रह गयी देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो नींद चैन की त्यागो तुम
संघर्षोंका मैदान छोड़ मत भागो तुम।
कुछ कियेबिना ही जय जयकार नहीं होती
हिम्मत करनेवालों की कभी हार नहीं होती।

- बच्चन

One of the most powerful poems by Shri HarivanshRai Bacchan